हम पंछी उन्मुक्त गगन के उड़ चले तोड़ बंधन जीर्ण रुढि के हम पंछी उन्मुक्त गगन के उड़ चले तोड़ बंधन जीर्ण रुढि के
जगत में हर कोई ही है ये करता प्रयास, सर्वांगीण सकारात्मक हो उसका विकास। जगत में हर कोई ही है ये करता प्रयास, सर्वांगीण सकारात्मक हो उसका विकास।
अलबेला देश भारत,मनते नित्य त्यौहार। सुख समृद्धि सबकी लाते ,भरते सबमें प्यार। अलबेला देश भारत,मनते नित्य त्यौहार। सुख समृद्धि सबकी लाते ,भरते सबमें प्यार।
घर -घर में मिट्टी के दीये जलायें। छोटे कामगारों का रोजगार बढ़ायें।। घर -घर में मिट्टी के दीये जलायें। छोटे कामगारों का रोजगार बढ़ायें।।
तेल नहीं था, तम का साया, उस घर में ही रोशन छाया, जल गया वह दीपक, जो जल न पाता था। तेल नहीं था, तम का साया, उस घर में ही रोशन छाया, जल गया वह दीपक, जो जल न पाता...
जो कभी ना तेरी थी और ना कभी मेरी ! जो कभी ना तेरी थी और ना कभी मेरी !